बाद्ख्वारतुम्हे भुलकर जीने की कोशीश में,तुम्हे याद कर मरते है,गम को अपने नझ्म बनाकरमहफिलों मे बयाँ करते है..सुर्ख होठों की नमी ढूंढ्तेशब के अंधेरोमें फिरते है,झुकती आँखों की महकशी के प्यासे,हम मय के प्याले भरते है..
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